मंदसौर । मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड द्वारा विकसित कॉलोनी हो अथवा निजी क्षेत्र में विकसित कॉलोनियां या विकास प्राधिकरण इत्यादि संस्थाओं द्वारा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग इन सब पर मकान के जीवन काल तक तथा यहां तक की भूखंड पर भी शासन द्वारा लीज रेंट एवं डायवर्सन शुल्क इत्यादि वसूला जाता है जबकि एक निश्चित प्रकिया के बाद जब कालोनियां नगर परिषद अथवा नगर पालिका या निगम में पूर्णता हस्तांतरित हो जाती है तब भी मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड वर्षों तक लीज रेंट वसूल करता है तथा निजी कॉलोनियों में राजस्व विभाग संबंधित कॉलोनी में डायवर्सन शुल्क वसूल करने हेतु प्रतिवर्ष अपने कैंप लगाकर वसूली करता रहता है। उक्त विचार व्यक्त करते हुए शिक्षाविद श्री रमेशचंद्र चंद्रे ने कहा कि सरकार को उक्त नीतियों तथा कानून में परिवर्तन करना चाहिए उन्होंने वर्तमान कानून की विसंगतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि जब कॉलोनाइजर जमीन का डायवर्सन शुल्क जमा करता है तब ही उसे कॉलोनी विकसित करने की अनुमति मिलती है और इसके लिए बकायदा उसे टाउन एवं क्ट्री प्लानर से अनुमति भी प्राप्त करना होती है इन सब प्रक्रियाओं के बाद जब पूर्ण विकसित कॉलोनियां स्वायत्तशासी संस्थाओं अर्थात परिषद पालिका निगम या कैंटोनमेंट बोर्ड को हस्तांतरित कर दी जाती है और यह संस्थाएं उनसे संपत्ति कर, जल कर एवं रोड़ बिजली स्वच्छता इत्यादि समस्त कर जमा करवाकर नागरिक सुविधाएं प्रदान करने लगती है उसके बाद भी राजस्व अमला डायवर्सन शुल्क वसूल करता प्रकार शुल्क वसूल करता रहता है और इसी प्रकार मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड भी प्रतिवर्ष लीज रेंट वसूली के आदेश जारी करता है। श्री चंद्रे ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि शासन की समस्त औपचारिकता पूर्ण करने के पश्चात भी उक्त प्रकार के भूखंड , मकान पर बैंक ऋण सुविधा देने के के लिए समस्त बैंक एमपी हाउसिंग बोर्डतथा राजस्व विभाग से एनओसी प्राप्त करने का दबाव बनाती है जबकि रजिस्ट्रार के यहां पर उक्त प्रकार के भूखंड अथवा मकानों की विधिवत रजिस्ट्री संपन्न हो जाती है उसके बाद भी उपभोक्ताओं को परेशान किया जाता है।श्री चंद्रे ने सक्षम वर्ग का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि वर्षों पुराने कानून के कारण आम उपभोक्ता जो मसरकार और गरीब वर्ग का है वह पीस रहा है यदि गरीब तथा सर्वहारा वर्ग के लिए सरकार योजना बनाकर कम मूल्य के मकान अथवा भूखंड देने का संकल्प लेती है तो लंबे समय तक उनसे वसूली करना समझ से बाहर है इसलिए मध्य प्रदेश सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए लीज रेंट तथा डायवर्सन शुल्क से पूर्णता विकसित तथा नगर पालिका को हस्तांतरित कॉलोनिया को तुरंत लीज रेंट और डायवर्सन शुल्क से मुक्त कर देना चाहिए तथा उनकी बिक्री या नामांतरण पर भी किसी प्रकार की एनओसी प्रस्तुत करने के दबाव को समाप्त करना चाहिए। श्री चंद्रे ने कहा कि मध्यम वर्ग का व्यक्ति कानून का जानकार नहीं होता तथा राजस्व विभाग और हाउसिंग बोर्ड के डर के कारण अपनी संपत्ति की रक्षा के लिए आवाज नहीं उठा पा रहा है तथा सक्षम वर्ग का इस ओर ध्यान नहीं है जो बहुत चिंता का विषय है इसलिए नगर पालिका / निगम के नवनिर्वाचित पार्षदों एवं संभावित परिषदों को इस समस्या से मुक्त करने के लिए प्रांत स्तर पर अभियान चलाकर सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ।
नगरपालिका को हस्तांतरित कॉलोनियां लीज रेंट और डायवर्सन शुल्क से मुक्त होना चाहिए- रमेशचन्द्र चन्द्रे