मंदसौर । 40 पार्षदों वाली नगर पालिका परिषद मंदसौर के अध्यक्ष के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 23 पार्षदों में से 22 पार्षदों के मत पाकर भाजपा प्रत्याशी राम कोटवानी की विजय ने भारतीय जनता पार्टी का दामन दागदार कर जीत की खुशी को धुंधला कर दिया है । भारतीय जनता पार्टी के लिए यह चिंतन का विषय हो सकता है ,लेकिन पार्टी से दगा करने वाले पार्षद ने जनता के मत का भी अपमान किया है । मध्यप्रदेश में नए नियमों के तहत होने वाला यह पहला चुनाव था । 25 वर्ष पूर्व भी इसी नियम के तहत अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया संपन्न होती थी ,किंतु तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने संशोधन कर अध्यक्ष का चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से कर दिया था । कमलनाथ सरकार ने नगर निकाय में अध्यक्ष चुनाव मे संशोधन कर अप्रत्यक्ष प्रणाली से कर दिया है। अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया राजनीति को कलंकित और दूषित करने वाली ही साबित होगी । मंदसौर नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा का एक पार्षद कांग्रेस से जा मिला यदि 3 पार्षद और कांग्रेस से जा मिलते तो यह नगर की जनता के द्वारा भाजपा को दिए गए समर्थन का अपमान ही होता ।आने वाले समय में पूरे प्रदेश में नगरी निकाय चुनाव में ऐसी स्थिति अनेक जगह बनेगी । जनता ने वोट "ए" पार्टी को दिया लेकिन विजयी "ए" पार्टी के पार्षद ने "बी" पार्टी के अध्यक्ष प्रत्याशी को समर्थन कर दिया । क्या यह नैतिकता है ? क्या ईमानदारी तटस्थता और नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले जनप्रतिनिधि अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया मे राजनीति की मंडी में स्वयं की बोली लगाकर अपराध बोध महसुस करते हैं ?
अप्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष का चुनाव जनता के मत का अपमान